मंगलवार, 28 जनवरी 2020

लोकतंत्र में प्रदर्शन सवेधानिक अधिकार है। जनता का मुनिराम गेझा ( एक और विचारक )

लोकतंत्र में प्रदर्शन सवेधानिक अधिकार है। जनता का – मुनिराम गेझा( एक और विचारक ) आज के वर्तमान में सभी देशों एक प्रकार के गति अवरोध का सामना कर रहे हैं जिस कारण कभी ना कभी किसी ना किसी देश में कहीं ना कहीं अप्रिय घटना का शिकार होना पढ़ रहा है जिसमें निर्दोष लोग अपनी जान गवाते हैं जिनका कोई कसूर नहीं होता है भारत के दैनिक जागरण 23-08-2019 के अखबार के माध्यम से मैंने पड़ा की वे जन्मजात नागरिकता को खत्म करने की तैयारी है जिनके माता अमेरिकी नागरिक नहीं है और उनकी संतान के पास अमेरिका की जन्मजात नागरिकता है (अर्थात जिसनेअमेरिका में जन्म लिया है) जब भी किसी देश से दूसरे देश में गए व्यक्तियों तथा उनसे जन्मी संतान उसी देश के जन्मजात नागरिकता और अधिकार प्राप्त होते हैं जिनके माता पिता उस देश के नागरिक नहीं होते है। स्पष्ट कहां जाए तो अमेरिका उन लोगों या बच्चों की जन्मजात नागरिकता खत्म करेगी जिनके माता पिता अमेरिकी नागरिक नहीं है आज तक जो भी व्यक्ति अपने देश से किसी दूसरे मैं गए हैं उस देश के आर्थिक औद्योगिक वैज्ञानिक दृष्टि से उस देश की समृद्धि में अपना विशेष योगदान देते हैं क्योंकि दूसरे देश में वही व्यक्ति जाते हैं जिस देश की सरकार उनके लिए पर्याप्त कार्यपद्धती मुहैया नहीं करा पाती है जिससे अपने ज्ञान को अपने देश के धरातल पर स्थापित नहीं कर पाते और दूसरे देश की सरकारें नए-नए अविष्कारों के लिए पर्याप्त सामग्री मुहैया कराती है हर कोई व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं पूर्ति के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान तथा एक देश से दूसरे देश में जाकर जीवन व्यापन करता है यह सदियों पुरानी परम्परा है चाहे तो हम विभिन्न प्रकार के इतिहासों का अध्ययन कर सकते हैं। जन्मजात नागरिकता खत्म करने से पढ़ने वाला प्रभाव अगर हम इतिहासो का अध्ययन करें तो सभी देशों से विभिन्न देशों मैं जाते रहे हैं और उनसे जन्मे संतान उसी देश की जन्मजात नागरिकता के पहचान के रूप में अपने भविष्य का निर्माण और उस देश के भविष्य का निर्माण करती है अगर अमेरिका की वर्तमान सरकार या भविष्य की कोई भी सरकार ऐसा करती है जिनके माता पिता अमेरिका के जन्मजात नागरिक होकर अमेरिका के नागरिक नहीं है उन जन्मजात नागरिकता व्यक्तियों की नागरिकता खत्म करना यह कदम केवल उन जन्मजात के लिए ही नहीं बल्कि उन जन्मजात अमेरिका के लोगो के लिए घातक साबित होगी जिनके माता-पिता सदियों से अमेरिकी है वास्तविक में कहूं तो उस देश के भविष्य का निर्माण की उन सभी लोगों ने मिलकर रखी है चाहे वर्तमान में है चाहे वे अमेरिकी हो या या जन्मजात अमेरिकी और जिनके माता-पिता अमेरिकी नहीं है ऐसा फैसला हर उस देश के लिए तथा उस देश के भविष्य के लिए भी घातक साबित होगा जो भी देश के अनीतिगत फैसले लेगा वे कौन लोग होंगे जिनकी जन्मजात नागरिकता खत्म होगी जिन लोगों की जन्मजात नागरिकता खत्म होगी एक वर्ग के दायरे में आएंगे चाहे वे किसी भी उम्र के होंगे अमेरिका के जन्मजात लोगों के अधिकारों तथा जन्मजात नागरिकता पर विचार करते हैं वे दोनों व्यक्ति जो एक ही देश के होंगे और उनकी संतान के पास अमेरिका की जन्मजात नागरिकता होगी और उनकी जन्मजात नागरिकता भी समाप्त हो गई होगी जब उनकी नागरिकता वही देश खत्म कर देगा जिस देश में उनका जन्म हुआ है तो और कोई देश उनको नागरिकता देने को तैयार नहीं होगा क्योंकि उसमें तो उनका जन्मजात नागरिकता आशिक करने का अधिकार भी नहीं होगा जिस देश के उनके माता पिता हैं परंतु उस देश में उनका जन्म नहीं हुआ है जिस देश के उनके माता पिता नागरिक हैं दोनों व्यक्ति अलग अलग देश के हो या दोनों में कोई एक अमेरिकी नागरिक या जन्मजात नागरिक हो उन लोगों की संतान को कौन नागरिकता देगा जिनके माता-पिता कोई एक अमेरिकी नागरिक होगा जिनकी संतान के पास जन्मजात नागरिकता का अधिकार भी नहीं होगा और अमेरिका पहले ही उनकी संतान की जन्मजात नागरिकता समाप्त कर चुका है जिनके माता-पिता अमेरिका का नागरिक नहीं है और उनकी संतान अमेरिका की जन्मजात नागरिकता के अधिकारी थी कौन देगा नागरिकता जिन लोगों की नागरिकता जन्मजात नागरिकता के आधार पर अमेरिका नागरिकता समाप्त करेगा जोकि सभी जन्मजात नागरिकता का हवाला देकर नागरिकता समाप्त जन्मजात नागरिकता और बंदी बनाए गए शरणार्थी यह तो पता नहीं की कब से जन्मजात वाले अमेरिका के व्यक्तियों की नागरिकता समाप्त होगी यह फैसला प्रथम विश्व युद्ध से वर्तमान में सभी ऐसे व्यक्तियों पर लागू होगा जिनके माता पिता अमेरिकी नहीं बल्कि अमेरिका के जन्मजात नागरिक हैं या पिता माता अमेरिकी नागरिक है या यह फैसला भविष्य की किसी तारीख से लागू होगा बंदी नहीं गुलाम बना लिए शरणार्थी अमेरिका में उन सभी शरणार्थियों को बंदी के नाम पर गुलाम बनाए गए लोगों पर नए नियम के बहाने उनको अधिक कमजोर कर उनको गुलाम बनाया जाएगा और उन पर अधिक अत्याचार वही लोग करेंगे जो अमेरिका के सदियों से अमेरिकी नागरिक कहने वाले लोग हैं यह नीति भारत के वर्ण व्यवस्था पर अमेरिका में भी चलने लगेगी जब भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों को अमेरिका से लिया गया है और अब अमेरिका अपने यहां वर्ग व्यवस्था मैं भारत के वर्ण व्यवस्था जैसा नियम स्थापित करने जा रहा है अमेरिका में एक गृह युद्ध की आग लग जाएगी। क्योंकि यह कदम अमेरिका का संयुक्त राष्ट्र की शक्ति को खत्म करा सकता है क्योंकि जब 40 % जन्मजात अमेरिकी नागरिक जिनके माता पिता अमेरिकी नागरिक थे या है और 10% बंदी नहीं गुलाम बनाए गए शरणार्थी लोगों द्वारा अपने अधिकार और नागरिकता के अधिकार के एक ऐसे नये (N.D.R.P) अंतरराष्ट्रीय जन्मजात नागरिकता संगठन का निर्माण होगा और अपने अधिकारों के लिए उपरोक्त नाम या अन्य कोई नाम से अधिकारों तथा नागरिकता समाप्त या खत्म होने के विरोध में प्रदर्शन करेगा या करने लगेगा देश की वर्तमान सरकार अपने जन्मजात नागरिकता अमेरिकी नागरिकता और अधिकारों की मांग करेगा तो सरकार प्रदर्शन कार्यों पर विभिन्न प्रकार का बल प्रयोग और कुछ लोगों को फिर बंदी बना लिया जाएगा परंतु यह प्रदर्शन रुकने तथा झुकने का नाम नहीं लेगा और देश में चुनाव का समय आ जाएगा तो कुछ पार्टी द्वारा जन्मजात नागरिकता और बंदी बनाए गए शरणार्थी को भी नागरिकता देने का वायदा करेगी और जिस पार्टी ने जन्मजात नागरिकता खत्म करने का वायदा किया था और उस पर कार्य करेगी तो प्रदर्शन व्यक्तियों का प्रदर्शन और अधिक तेज वह रोता भाव का हो जाएगा जिसमें कुछ व्यक्तियों को अपनी जान गवानी पड़ेगी यहां जान गवानी कोई नई बात नहीं होगी। क्योंकि जब “जब किसी देश या किसी स्थान की मैं प्रणाली बिगड़ती है तो एक नई क्रांति का जन्म होता है” मुनिराम गेझा (एक और विचारक) की बात से अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा समर्थन करते है और अमेरिका अपने यहां नए संप्रदायिक प्रदर्शन को जल देगा ठीक उसी तरह जिस तरह भारत में चुनाव के समय धर्म और जाति विशेष हो जाते हैं और अमेरिका में अमेरिकी जन्मजात नागरिकता जिनके माता पिता अमेरिकी नागरिक नहीं है और जिनके माता-पिता अमेरिका नागरिक हैं और यह संप्रदाय कभी समाप्त होने वाला नहीं होगा और जब जब अमेरिका में चुनाव होंगे तब तब दो टगु बनेंगे एक जन्मजात नागरिकता को ज्यों का त्यों बनाए रखने वाला होगा और दूसरा जन्मजात नागरिकता को खत्म करने वाला होगा और अमेरिका में अमेरिका की जनता भी अमेरिका के विकास से जायदा अमेरिकी जन्मजात नागरिकता और अमेरिकी नागरिकता पर विशेष माना जाएगा अमेरिका के लिए यही बेहतर होगा की अमेरिका में किसी ऐसी पार्टी को सत्ता में नहीं आने दे जिससे जन्मजात अमेरिकी नागरिकता के बीच संप्रदायिकता की नींव रखी जाए क्योंकि जब 40 से 50% जो व्यक्ति अपने अधिकारों को बचाने के लिए हथियार उठा लेगा तब इन लोगों को कोई आतंकी संगठन घोषित कर दिया जाएगा ये वे व्यक्ति होंगे जो जन्मजात नागरिकता के आधार पर उनके अधिकार और नागरिकता खत्म हो चुकी होगी और इनके साथ वे शरणार्थी लोग भी होंगे जिन्हें बंदी नहीं बुला बना लिया जाएगा और अमेरिका के लिए सबसे काला दिन साबित होगा जब एक ऐसे संप्रदायिक का जन्म होगा और यह संप्रदायिकता कभी खत्म नहीं होगी यह भारत की तरह अमेरिका में हिंदू मुस्लिम और जाति और धर्म की तरह फैलती रहेगी क्रांति भी किसी भी राजा के अनीतिगत फैसलों के करण रोज शुरू होता है और जब विरोध राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच जाता है तब विरोध एक क्रांति करो हो जता है लेखक की कलम से दो शब्द मुझे यह मालूम है कि मैंने जो इस लेख में लिखा है उस देश के संसद की नीतियों के बारे में लिखा है जो देश संयुक्त राष्ट्र शक्ति का मालिक है जिसने इराक ईरान आदि देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है परंतु किसी के विचारों पर नहीं मुनिराम गेझा (एक और विचारक)

शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

मेरे मन की बात भारत के संविधान के साथ मुनिराम गेझा( एक और विचारक )

मैं अपने मन की बात खोल रहा हूं! मैं आजाद भारत बोल रहा हूं! मैं मनुस्मृति और पाखंडवाद को छोड़ रहा हूं!! मैं अपने मन की बात खोल रहा हूं! मैं अंबेडकर का ज्ञान बोल रहा हूं! मैं इस भारत में शिक्षा का अमृत घोल रहा हूं!! मैं अपने मन की बात खोल रहा हूं! मैं भारत का संविधान बोल रहा हूं! मैं जन जन के घर पहुंच रहा हूं!! मैं अपने मन की बात खोल रहा हूं! मैं जिस जन जन को पढ़ रहा हूं! मैं अधिकार सारे जन जन को बता रहा हूं!! मैं अपने मन की बात खोल रहा हूं! मैं प्रस्तावना में ना जाति ना धर्म बांट रहा हूं! मैं भारत के लोग तुम्हें बता रहा हूं!! मैं अपने मन की बात खोल रहा हूं! मैं वर्ण व्यवस्था की बेडियो को काट रहा हूं! मैं शूद्र वर्ग के साथ इस अबला नारी को भी शासक भारत का बना रहा हूं!! मैं अपने मन की बात खोल रहा हूं! मैं लोकतंत्र का बीज बोल रहा हूं! मैं समता, समानता, और बंधुत्व के अधिकार के तोल रहा हूं!! मैं अपने मन की बात खोल रहा हूं! मैं भारत का संविधान बोल रहा हूं! मैं धर्म ग्रंथों को पीछे छोड़ रहा हूं!! मैं अपने मन की बात खोल रहा हूं! मैं मनु और पाखंडवाद की कमर तोड़ रहा हूं! मैं अब शादियों में भी पहुंच रहा हूं!! मैं अपने मन की बात खोल रहा हूं! मैं एक विचार की कहानी बोल रहा हूं! मैं थोड़ी थोड़ी मुझे बानी बोल रहा हूं!! मुनिराम गेझा ( एक और विचारक )

गुरुवार, 16 जनवरी 2020

कलम हों या हथियार हों( मुनिराम गेझा एक और विचारक )

कलम या हथियार हो कलम हो या हथियार हो बस बदलें का इंतकाम हो बदल नहीं सकता इंतकाम का इरादा मेरा जहां छिन गया मेरा अधिकार हो ।। गेर कलम हथियार उठाया बदलें का ये अब दौर है अब मैंने ठाना बदले का इंतकाम कमाना है जहां छिन गया मेरा अधिकार हो।। हे मात पिता तुमसे माफी मांगू हथियार के शिवा कोई साथी मेरा जहां छिन गया मेरा अधिकार हो।। नोकरी नहीं अब इंतकाम रास्ता मेरा गेर कलम जब उठा लिया हथियार हो लोट नहीं सकता दोबारा रास्ते पे उस पर जहां छिन गया मेरा अधिकार हो
सामाजिक एवं अन्य सामाजिक विचार मुनिराम गेझा (एक और विचार)
सामाजिक एवं अन्य सामाजिक विचार मुनिराम गेझा (एक और विचार)

सन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण की ओर। मुनिराम गेझा( एक और विचारक )

सन्धि से राष्ट्रीयकरण ओर राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण की ओर-मुनिराम गेझा HomeHindi संधि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर-मुनिराम गेझा सिन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर-मुनिराम गेझा सन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर-मुनिराम गेझा Muniram October 30, 2019 2 Hindi, इतिहास इस भारत के इतिहास में भारत देश को अशोक के बाद भिन्न-भिन्न छोटे-छोटे रजवाड़ों तथा राज्य में बटा और भिन्न-भिन्न राजा हुए अलग अलग नीतियां स्थापित के गई जिन राजाओं की नीति समान न्यायहीन रही होंगी और उनके राज्य का पतन आरंभ होने लगा होगा जिस कारण उन राजाओं को गुलाम बनाया गया होगा और उनके साथ उन राजाओं का पतन होना निश्चित था जिन राजाओं की नीति न्याय समानता कार्य प्रणाली थी और उन पर अनेक आपका मन हुए होंगे परंतु वर्ण व्यवस्था बनी रही । इसके विरोध में अनेक विद्वानों ने आवाज उठाई और संघर्ष किया परंतु कामयाबी नहीं मिली इन लोगों के संघर्ष से समाज में जागरूकता बढ़ती गई अंत में मुस्लिम राज स्थापित हुआ उन्होंने भी वर्ण व्यवस्था के खिलाफ कोई कार्य या आघात नहीं क्या जिस कारण वर्ण व्यवस्था पूर्णतः स्थापित रही फिर अंत में जाकर अंग्रेजों का शासन स्थापित हो गया जिसमें अंग्रेजों के साथ यहां के राजाओ द्वारा सिंधी स्थापित की इस सिंधी में राजा अपने राज्य से उत्पादन का कुछ भाग अंग्रेजों को दिया जाने लगा और उत्पादन का वह भाग उस वर्ण का था और उनके लोगों पर अधिक अत्याचार बढ़ गए रजवाड़ों के मालिकों द्वारा अधिक उत्पादन करने को बांदे क्या जाने लगा और उनका शोषण होने लगा जो मेहनत कर उत्पादन और धन अर्जित करने का माध्यम था जिसका समाज में एक नाम प्रचलित हो गया जिसका नाम जिमेदारी प्रथा था इस जिमेदारी प्रथा में गांव गांव में एक मुखिया बना दिया जाता था जो पहले से ही गांव के लोगों का शोषण करता था इसी तरह अलग-अलग गांव में अलग अलग मुखिया होता इस प्रकार गांव गांव से उत्पादन माल और धन अर्जित कर रजवाड़े के मालिक राजा के पास राजा के लिए जाता था जिसने केवल अपने हित के लिए अंग्रेजों से सिंधी ली थी। और इस प्रकार अंग्रेजों को उत्पादन का अच्छा माल और धन जाता रहा भारत के विभिन्न रजवाड़ों के राजाओं द्वारा अंग्रेजों की साथ की गई सिंधी ही आजाद भारत के वर्तमान भारत की निजीकरण नहीं सिंधी है जिसके द्वारा भारत की संपत्ति को सरकार द्वारा निजी मालिकों को बेचना और सरकार द्वारा चुपके से धन अर्जित करना ही भारत सरकार की निजी लोगों के साथ निजीकरण नहीं अंग्रेजों के सिंधी है। जिसमें भारत के करोड़ों युवाओं का शोषण होने के साथ-साथ बेरोजगारी जैसी बीमारी का जन्म हो रहा है अंग्रेजों की सिंधी का निजीकरण का नया नाम बेरोजगारी है और मनुस्मृति का नया अध्याय निजीकरण है अंग्रेजों और भारत के वर्ण व्यवस्था के सबसे निचले वर्ग के लोग अंग्रेजों के नीति और शिक्षा और सिद्धांत समान अधिकार पर पढ़ने वाला प्रभाव लार्ड मैकाले ने भारत में पहली बार दलितों वंचितों के लिए नई शिक्षा नीति की नींव रखी और 6 अक्टूबर 1860 को लार्ड मैकाले द्वारा लिखी गई भारतीय दंड संहिता लागू हुई और मनुस्मृति की वर्ण व्यवस्था नीति खत्म हुई जिस कारण अंग्रेजों भारत से भगाने की योजना तैयार की गई जब तक अंग्रेज जाने को तैयार हुए जब तक अंग्रेजों ने भारत में धर्म मनुस्मृति और जाति के आधार पर होने वाले अत्याचार को समाप्त करने का संपूर्ण कानून और समान शिक्षा अधिकार ,संपत्ति में व्यवसाय में भारतीय राजव्यवस्था में आदि का कानून बना दिया था अंत में भारत आजाद होने की क्रांति हो गई इसी के साथ भारत आजाद हो गया और आजाद होने से पहले भारतीय संविधान का निर्माण हुआ जिसको डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार किया गया और इस संविधान में वर्ण व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया और इस संविधान में भारत के सभी लोगों को समान शिक्षा समान संपत्ति तथा धर्म मनुस्मृति और जाति के आधार पर होने वाले अत्याचार के लिए कठोर कानून स्थापित किए गए जो अंग्रेजों के कानून के समक्ष थे भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया इसके बाद सरकारों द्वारा निजी संस्थानों का राष्ट्रीयकरण हुआ भारत में रोजगार के रास्ते संपन्न होने लगे इसके बाद धीरे धीरे भारतीय सरकार द्वारा स्थापित नए संस्थान एवं राष्ट्रीयकरण हुए संस्थानों का फिर से निजीकरण और धीरे धीरे रोजगार समाप्त होने लगे सबसे बड़ा निजीकरण रेलवे का हुआ जिस कर बिहार में आंदोलन होने लगा भारत के समस्त युवाओं से आशा है कि इस आंदोलन को सफलता की ओर निजीकरण का चुनाव में पढ़ने वाला प्रभाव, आने वाले लोकसभा चुनाव में धर्म का नहीं अब तक जितने भी सरकारी विभागों का निजीकरण हुआ है उनका फिर से राष्ट्रीयकरण हो और उन सभी निजी विभागों का राष्ट्रीयकरण होना चाहिए जिनमें 1000 या उससे अधिक रखते कार्यरत हो लेखक की कलम के दो शब्द पहले सिंधी और आजाद भारत में अर्ध सरकारी गैर सरकारी संस्थानों का राष्ट्रीयकरण हुआ और फिर निजीकरण लगा और फिर राष्ट्रीयकरण का अध्याय को कौन करेगा पूरा ……………………………………………………… ……………………………………….. मुनिराम गेझा( एक और विचारक) Digiprove sealCopyright secured by Digiprove © 2019 Sahity Live All Rights Reserved About the Author muniram socicalvicharak.blogspot.com Visit: मेरी प्रोफाइल | पसंदीदा वेबसाइट कोन है समझाने वाले लोग – मुनिराम गेझा - January 13, 2020 कोन है समझाने वाले लोग-मुनिराम गेझा - January 13, 2020 बोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा - November 25, 2019 कलम या हथियार हो -मुनिराम - November 12, 2019 ईमानदारी एक जीवन की शैली है- मुनिराम - November 1, 2019 सिन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर-मुनिराम गेझा - October 30, 2019 सिन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर- मुनिराम गेझा - October 29, 2019 प्रदर्शनकारी को आतंक का नाम देने वालों का चेहरा – मुनिराम गेझा - September 21, 2019 सपनों का इंधन -मुनिराम गेझा - August 23, 2019 कलम की ताकत की कल्पना -मुनिराम - August 20, 2019 View All Articles 0 Post Views: 135 Your smile — Kakali Mazumdar तरी यादें-तनूजा बंगला COMMENTS info lebih lengkap October 31, 2019 at 6:16 pm Hi it’ѕ me, I am also visiting this site regulаrly, this web page is in ffact pleasant and the users are in faⅽt sharing fastidious thoughts. http://Caiyuu.com/comment/html/?145737.html 0 informasi Selanjutnya November 1, 2019 at 2:00 am I like thһe helpful info you provide in your articles. 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Comment * About the Author muniram socicalvicharak.blogspot.com Visit: मेरी प्रोफाइल | पसंदीदा वेबसाइट कोन है समझाने वाले लोग – मुनिराम गेझा - January 13, 2020 कोन है समझाने वाले लोग-मुनिराम गेझा - January 13, 2020 बोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा - November 25, 2019 कलम या हथियार हो -मुनिराम - November 12, 2019 ईमानदारी एक जीवन की शैली है- मुनिराम - November 1, 2019 सिन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर-मुनिराम गेझा - October 30, 2019 सिन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर- मुनिराम गेझा - October 29, 2019 प्रदर्शनकारी को आतंक का नाम देने वालों का चेहरा – मुनिराम गेझा - September 21, 2019 सपनों का इंधन -मुनिराम गेझा - August 23, 2019 कलम की ताकत की कल्पना -मुनिराम - August 20, 2019 View All Articles MEMBERS NEWEST ACTIVE POPULAR Profile picture of Muskaan-Sinha Muskaan-Sinha ACTIVE 57 SECONDS AGO Profile picture of muniram Muniram ACTIVE 3 MINUTES AGO Profile picture of Poonam Dahiya Poonam Dahiya ACTIVE 38 MINUTES AGO Profile picture of DishaLive Group DishaLive Group ACTIVE 42 MINUTES AGO Profile picture of ❤️तुझसे नहीं मैं खुद की किस्मत से खफा हूं😔 ❤️तुझसे नहीं मैं खुद की किस्मत से खफा हूं😔 ACTIVE 49 MINUTES AGO MEMBERS ACTIVITY REVIEWS PUBLISH PRIVACY POLICY COPYRIGHT Designed By: DishaLive Web Design & Solutions

बुधवार, 15 जनवरी 2020

बहुजन भारत की संरचना

सभारत की संरचना -मुनिराम गेझा . August 30, 2019 0 Hindi, मेरे विचार है आभी ये गीली मिट्टी का बुत संभाल कर चाक तक पहुंचाना है आभी बाकी तेरी हो ये रूम हो कर्म इस पर तेरा ऐसा बने भीम विचारों का बर्तन तेरे जैसा विचारों के चाक पर ढाल ऐसे इसको मोत भी तेरी रोक ना पाएं इसको कभी घर अपना विचार धारा मनुवाद बना ना सके लहु ऐसा अम्बेडकर क्रान्ति संचालित करा दे मस्तिष्क में इसके कोई कलम भीम के संविधान की हाथ में थमा दे इसके जब क्रान्ति जवानी इसकी ना रोक सके मनुवादी बेड़ियां घर के इसकी बताने लग जा अम्बेडकर वादियों के विचार इसको जब अधिकारों का शोषण हो बहुजन समाज के तेरे युद्ध तुझको ऐसा करना है तुझको को शोषण बुद्ध चरणों में सुलाना है जवा होकर शोषितों उद्धारक बना है तुझको ऐसा कर्म करना है तुझको बुत और खुद जवानी में देश के प्रति फर्क लगे ना किसी को समझाने तू लग जा एक और विचारक के विचारों की क्रांति है इनमें कुछ भीम मिशन और संविधान के अंशों की कहानी क्योंकि एक और विचारक को ज़िन्दगी और मौत में कभी नहीं लगता इसलिए सोपने लग जा अपने विचारों की क्रांति में विरासत तू क्योंकि बुतो में भी क्रांतियों एक रूत बना दे तू जिनके शोषण होते और मिलता नहीं न्याय और अधिकार एक और विचारक चला कलम एसी अन्याय के खिलाफ चल कर बन न्याय की तलवार मुनिराम गेझा ( एक और विचारक)

बुद्ध के अनुयायी है कि

सा बोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा Homeकविताएँबोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा बोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा Muniram November 25, 2019 0 Hindi, कविताएँ बुद्ध के अनुयायी है।हम अपने माता-पिता की एक आस है। हम अनार्यों की पहचान है। हम शंबूक ऋषि के शिष्य हैं। हम रावण के मस्तक है। हम एकलव्य के बान है। हम कबीर पंथ की तेज धार है। हम रविदास की कटौथी व रफी है। हम पांच सौ महार वीरों के खून से बने स्तम्भ की अशंख ईंट है। हम ज्योतिबा फुले व सावित्री के ख्वाब हैं। हम बिरसा मुंडा और मातादीन भंगी की जान है। हम चमार रेजीमेंट के वीर जवानों के आज के शौर्य का कल है। हम उधम सिंह की रिवाल्वर ( पिस्तौल) है। हम छत्रपति साहू जी राजा के राज के उत्तराधिकारी है। हम अंबेडकर के संविधान की शान व कलम की चाल है। हम नारायण गुरु के संस्कार हैं। हम पेरियार सिद्धांत के समर्थक है। हम क्योंकि पाखंडवाद अंधविश्वास के खिलाफ एक मार्ग है। हम विश्व में भारत की शान है। हम अंबर का नीला सलाम है। हम क्योंकि काशीराम की सिचि राजनीति का एक बाग है। हम बहन मायावती की राजनीति की ललकार है। हम फूलन देवी की महिमा शोषण के खिलाफ एक आवाज है।हम शिक्षा की उन्नति की मिसाल का एक स्तम्भ है। हम इक्कीसवीं सदी के शासक है। हम एक और विचारक के अभी सार ( वार ) है। हम सतकल नहीं कलम युग के रावण है। हम क्योंकि समस्त शोषण अत्याचार ब्रह्मास्त्र के खिलाफ एक भीमरावाशत्र है। हम

शनिवार, 11 जनवरी 2020

कोन है समझाने वाले लोग (मुनिराम गेझा एक और)

मुनिराम गेझा ( एक और विचारक ) 02-01-2020 कौन है समझाने वाले लोग जो लोग तुम्हारे अधिकार छीन लेगे वहीं लोग आप को समझाने आएंगे हमने तुम्हारे अधिकार अपने पास गिरवी रख लिए हैं क्योंकि तुम उनकी सुरक्षा नहीं कर सकते हम आपके अधिकारों को छीन कर ही हम आपके अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं जब तुम लोग अपने अधिकारों को अपने पास रखोगे तो इन अधिकारों से अपने भविष्य की उन्नति का एक विशाल स्तंभ विश्व के पटल पर स्थापित कर लोगे जो हमें हरगिज़ मंजूर नहीं होगा भारत में जिन शोषित लोगों अपने अधिकार सुरक्षित रखने की है इस लोकतंत्र के भारत में पाखंडवाद को छोड़कर शिक्षा ,संगठन और संघर्ष का रास्ता सदैव के लिए उत्पन्न करें आने वाली भविष्य की पीढ़ियों को नया रास्ता बनाने की जरूरत ना पड़े और और सामाजिक कारवां को वहीं से लेकर चलें जहां पर जिसको तुम लोगों ने छोटा हो अगर आने वाली भविष्य की हर नई पीढ़ी को नया रास्ता तैयार करना पड़ेगा तो तुम्हारे दिए हुए सामाजिक , लोकतांत्रिक, राजनीतिक , आर्थिक और शोषण की राजनीति से आजादी पानी है तो राजनीति का हिस्सा वह हिस्सा बने जो आपके अधिकारों को आपसे छीन कर गिरवी रखने का साहस ना करें परंतु आपकी सोच और मस्तिष्क अपने समाज के प्रति सकारात्मक हो क्योंकि आपकी सोच और मस्तिक से आपके विचारों और आप की राजनीति का सफर को अधिक लंबा बनाने के प्रति सामाजिक चेतना के प्रति आपकी परीक्षा होगी जो आपको समय-समय पर देनी पड़ेगी क्योंकि आपके दुश्मन और आपके अधिकार छीन कर गिरवी रखने वाले लोग आपके साथ हमेशा युद्ध की भक्ति छल कपट से आपके अधिकारों को छीनने का प्रयत्न करेंगे आपका दुश्मन इस लोकतंत्र की राजनीति में आपकी परछाई की तरह तुम्हारे साथ चलेगा और उसकी सोच को पहचानने में आपको कठिन परिश्रम करना पड़ेगा जिससे बहुजन समाज पग पग पर अपने अधिकार खोकर दलदल में धसता रहा है इसके मुख्य कारण हो सकते हैं, शिक्षा का भाव आर्थिक शोषण सामाजिक शोषण और नशे के प्रति जागरूकता ने होना यही कारण बहुजन समाज को हमेशा पीछे रहने का कारण प्रदर्शित करता रहा है और कुछ लोग इन सब के जानकार होने के बावजूद भी अपने बहुजन समाज की उन्नति के लिए पे बैक टू सोसाइटी जा रहा हूं विचार भूलकर टीवी और बीवी मस्त हो गए हैं वह लोग समझते हैं जो हमने पाया है वह सिर्फ हमारी अपनी मेहनत हैं ना कि बाबा साहब द्वारा लिखित संविधान में दिए गए अधिकारों के द्वारा मिला है मुनिराम गेझा ( एक और विचारक )

बुधवार, 8 जनवरी 2020