बुधवार, 15 जनवरी 2020

बुद्ध के अनुयायी है कि

सा बोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा Homeकविताएँबोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा बोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा Muniram November 25, 2019 0 Hindi, कविताएँ बुद्ध के अनुयायी है।हम अपने माता-पिता की एक आस है। हम अनार्यों की पहचान है। हम शंबूक ऋषि के शिष्य हैं। हम रावण के मस्तक है। हम एकलव्य के बान है। हम कबीर पंथ की तेज धार है। हम रविदास की कटौथी व रफी है। हम पांच सौ महार वीरों के खून से बने स्तम्भ की अशंख ईंट है। हम ज्योतिबा फुले व सावित्री के ख्वाब हैं। हम बिरसा मुंडा और मातादीन भंगी की जान है। हम चमार रेजीमेंट के वीर जवानों के आज के शौर्य का कल है। हम उधम सिंह की रिवाल्वर ( पिस्तौल) है। हम छत्रपति साहू जी राजा के राज के उत्तराधिकारी है। हम अंबेडकर के संविधान की शान व कलम की चाल है। हम नारायण गुरु के संस्कार हैं। हम पेरियार सिद्धांत के समर्थक है। हम क्योंकि पाखंडवाद अंधविश्वास के खिलाफ एक मार्ग है। हम विश्व में भारत की शान है। हम अंबर का नीला सलाम है। हम क्योंकि काशीराम की सिचि राजनीति का एक बाग है। हम बहन मायावती की राजनीति की ललकार है। हम फूलन देवी की महिमा शोषण के खिलाफ एक आवाज है।हम शिक्षा की उन्नति की मिसाल का एक स्तम्भ है। हम इक्कीसवीं सदी के शासक है। हम एक और विचारक के अभी सार ( वार ) है। हम सतकल नहीं कलम युग के रावण है। हम क्योंकि समस्त शोषण अत्याचार ब्रह्मास्त्र के खिलाफ एक भीमरावाशत्र है। हम

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