शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

                          शासक से अभिषाप तक
जाग उठो अ आदिवासी और मूलनिवासी छिन रहा तुम्हारा अधिकार है।
काटो शीष उन मूर्ति जिन्होंने सुनाया तुम्हारे खिलाफ ये फरमान है।
तुम भारत के शासक और मूलनिवासी जल, जंगल, जमीन, तुम्हारी पहचान है।।
जाग उठो अ आदिवासी और मूलनिवासी छिन रहा तुम्हारा अधिकार है।
छीन कर मनुवादी सोच ने अधिकार तुम्हारा और कहलाया तुम्हे भारत का अभिषाप है।
फिर से  एकलव्य, ऊधम और बिरसा मुंडा बनो और नष्ट करो मनुवाद को।।
जाग उठो अ आदिवासी और मूलनिवासी छिन रहा तुम्हारा अधिकार है।
धीरे धीरे खत्म हो रहा है संविधान में मिला जो तुम्हारा अधिकार है।
जिन्होंने उठाया हथियार सुरक्षा को बाकी उठा लो कलम और संविधान को।।
जाग उठो अ आदिवासी और मूलनिवासी छिन रहा तुम्हारा अधिकार है।
जिस प्रकृति सदियों सींचा तुमने वो तुम्हारा ही तो अधिकार है।
एक और विचारक करता विनती आदिवासी शिक्षा का प्रसार करो।।
जाग उठो अ आदिवासी और मूलनिवासी छिन रहा तुम्हारा अधिकार है।
नहीं जागे तो होगा नष्ट अस्तित्व तुम्हारा अपने अस्तित्व की पहचान करो।
जोड के सारे आदिवासी और मूलनिवासी लड़ने को अधिकार की खातिर एकता का प्रचार करो।।
जाग उठो अ आदिवासी और मूलनिवासी छिन रहा तुम्हारा अधिकार है।
उखाड़ फेंको मनुवाद के उस शासन् वाद को जो खत्म करता तुम्हारे अधिकार को।
पाकर अधिकार आदिवासी और मूलनिवासी अभिषाप से शासक का तुम राज करो।।
जाग उठो अ आदिवासी और मूलनिवासी छिन रहा तुम्हारा अधिकार है।
अब बन जाओ तुम भी भीम विचारक बस यही तुम्हारा मार्ग है।
छोड के सारे पाखण्ड और मनुवाद को विचारक के लिखे पर विचार करो।।

 मुनिराम गेझा ( एक और विचारक)

गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

                 

                              वेलेंटाइन डे नहीं टेलेंट चाहिए

        राम नहीं रावण चाहिए
        जो कर दे बहन की इज्जत की अपने राज्य को समाप्त
        सीता नहीं फूलन देवी चाहिए
        जो मिटा दे अपनी इज्जत के हत्यारों के नामों निशान
        वेलेंटाइन डे नहीं टेलेंट चाहिए
        जो मिटा दे पापों की दुनिया बनाने वालों के निशान
        इजहार करो प्रकृति और मानवता के प्रेम का
        जो खिलने ना दे फूल तुम्हारे पापों के निशान का
        बोझ बन जाती है जिन्दगी
        जब फूल खिलने लगते तुम्हारे पापों के निशान के
        क्यों रोपते हो बीज पाप के उस उस फूल के निशान का
        ना जाने उसका कोई क्यो हकदार नहीं होता
        समझो देश के नौजवानों उसका कोई किरदार नहीं होता
        एक और विचारक की ये कहानी है यारों
        उपरोक्त में ना जाने कितनी नर्क जिन्दगी बन जाती है यारों
        कोई करता आत्म हत्या और छूपाऐ अपनी लाज ये
        वो ही करता विश्वासघात आप से घर छोड़ अकेला मां बाप            को और कहते यही मेरा अभिमान रे
        नाली गटरऔर लेटरिनबिखरे मिलते तुम्हारे पापों के निशान रे
        फेलने मत दो इश्क में तुम्हारे पाप का फूल जवानी के                     निशान   का
                       
   
                               मुनिराम गेझा ( एक बार फिर)





रविवार, 10 फ़रवरी 2019

अधर्म की चादर में धर्म का नाच हो रहा है
चौतरफा बैठे मनुवादी भारत के न्यायालयों में 
टूटती जा रही संविधान की यही तो रीढ़ मनुवादी ताकत की पहचान है
मंदिर के नाम पर घेरी अरबों की जागीर है
अ सुन लो भारत के न्यायालयों इनमें भी तो बहुजन की जागीर है
अब बनाया बहुजन ने अस्तित्व अपना इसमें सदियों की पहचान है
य से पार्क नहीं है कबीर,  रेदास, साहू जी महाराज, फुले, बिरसा मुंडा,  और अंबेडकर की पहचान है
कौन कहता बहुजन का हाथी यह आधा तुम्हारा भी तो भगवान है
कर दो पहले हिसाब हमारी सदियों की कमाई का
मिटा नहीं सकते बहुजन की हस्ती को तुम क्योंकि रक्त सदियों तक धार में हमने बाहाया है
यह विचारक कि नहीं भीम मिशन की कलम की जवानी है
कैसे लो दें भीम मिशन के पार्कों की कीमत तुमको
क्योंकि हिंदुस्तान की नहीं  भारत के बहुजन यह जमीन जंग और जागीर है

                    मुनीराम गेझा( एक और विचारक)

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2019

 अधर्म की चादर में धर्म नाच हो रहा 
चौतरफा बैठे हैं मनुवादी है भारत के न्यायालय में हैं 
 जिस कारण टूटती जा रही संविधान की रीढ़ है
 तुमने मंदिर के नाम पर  अरबो की जागीर है

रविवार, 3 फ़रवरी 2019

बाबा साहेब डा0अम्बेडकर जी मरण के बाद पुणृ जन्म की याद
     
      में जब आया इस दुनिया में अबोध शिशु मेरा नाम था ।
      में जब अनजान था इस दुनिया से जाने क्यों मेरे कुल को  
      मिला शूद्र का नाम था ।
      खूब सताया सदियों तक ब्राह्मण,क्षत्रीय,वेशय, ने इनका          कैसा ये अभियान था ।
      सम्पत्ति छीनि आधिकार छीने छूने ना साफ सरोवर तक          का अधिकार था ।
      हांडी बांधी ना इस धरती पे झाड़ बाधे ना पद चिन्ह रहे    
      धरती के मैदान पे ।
      कर्म को हमारे नीच धर्म से हमको दूर भगाया फैलाकर          मनुवाद पाखण्ड वाद रे ।
      शूद्र के पुत्र को जिंदा चिनवाया और पुत्री को मन्दिर में            दान दिलवाया ।
      इस लिए हमको जिन्दा चिनवाया ताकि उखाड़ ना फेंक          दें  वर्णों में छुपे मनु के पाखण्ड वाद को ।
      जिन पाखणिडयो दान की पुत्रीयो से मुह और काला       
      गुनाह छिपाने को ।
      पैरों की जूती उस महिला को समझा तुमने और सती के          नाम पर जिन्दा तुमने अधर्म का नाम कमाने को ।
      शायद भूल गए थे (एक और विचारक)इस पंक्ति को तुम
      पीलाकर दूध अपने स्तनों का तुम्हारे पेट की आग बझाई        थी ।
      गीधी ने शूद्रओ को शूद्र से हरिजन नाम धराया था ।
      जाने कितनों ने लुटा इस भारत फिर अंग्रेजो को क्यों      
      भगाया था ।
      भागाया अंग्रेजो को इसलिए तुमने बनाकर कानून                  शूद्रओ शिक्षा के द्वारा खुलवाएं थे ।
      और मैं ही अंग्रेजो ने तुम्हारे उपरोक्त पाखण्ड वाद के              खिलाफ सजा तुमको दिलाई थी ।
      जब आया दलितों का  विधाता उसको बहुत सतया था ।
      बाहर बैठा कर पढने को बताया तुमने पानी तक ना              पीलाया। था ।
      जाने कितनी डिग्री प्राप्त कर उसने डीलीट की डिग्री       
      साथ  में अपने भारत में वो लाया था।
      लिख भारत का संविधान उसने सदियों की गलामी के 
      मनु के मनुवादियों के विधान को जलाया था।
      पाने  हिन्दू धर्म के पाखण्ड वाद से मुक्ति इसलिए बुद्ध            धम्म का मार्ग बताया था। 
      जो तड़पें पानी, रोटी को जो उघडा तन कपड़ा पाने को 
      जो भूल गया अपना सिर उठाकर चल पोने।
      वो विश्व का भीमराव अम्बेडकर आया था ये सब बहुजन  
      को दिलाने को।
     
                           मुनिराम गेझा (एक और विचारक)

शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

जब किसी देश या किसी स्थान की न्याय प्रणाली बिगड़ती है तो एक नयी क्रान्ति का जन्म होता है

                                    मुनिराम गेझा( एक और विचारक)

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

जय भीम साथियों
में अपने विचार सभी बहुजन समाज के लोगों तक पहचा रहा हूं
भारतीय संविधान में दिए गए अधिकारियों को भारत की सभी छोटी बड़े न्यायलयो द्वारा दिन प्रतिदिन एससी एसटी ओबीसी और  मनोरटी के अधिकारियों को सडयत्र के द्वारा खत्म किया जा रहा है
(1) सबसे पहले तो शिक्षा का निजीकरण किया गया था जिससे एससी एसटी के बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त ना कर सके
(2) जब बहुजन समाज के बच्चे किसी तरह से पाने लगे तो और आरक्षण से सरकारी विभागों में नोकरी करने लगे तो सभी सरकारी विभागों को प्राईवेट किया जा रहा है ताकि आरक्षण खत्म हो जाएं और अपनी मर्जी से उच्च जातियों के लोगों द्वारा सभी पद भरे जा सकें
(3)समस्त भारत के सरकारी स्कूलों में खाना व मिड-डे-मील योजना लागू कर दी अधिकतर बहुजन समाज के बच्चे भोजन में लगे रहे जबकि यह रकम सकूलों के कायाकल्प में लगनी चाहिए थी
(4)इसके बाद जिन बहुजन समाज के लोगों का सरकारी नौकरियों में आरक्षण के आधार पर प्रमोशन से उच्च पद पहुंच गए थे उन्हें पहले की जगह ला दिया गया
(5) संविधान में दिए गए एससी एसटी के जीवन रक्षा के हथियार को भी खत्म किया गया परन्तु दो अप्रैल भारत बंद के के दौरान बहुजन समाज को अपने छ वीरों को शहीद होना पड़ा जिस कारण वापस कर दिया गया परन्तु इसे संविधान की नोवी अनुसूची में शामिल नहीं किया ताकि इसे फिर बदला जा सकें
(6)अब साथियों भारत के समस्त विश्व विधालयो एवं महाविद्यालयों में 200 रोस्टर पोइंट की जगह 13 रोस्टर पोइंट लागू कर दिया गया जिसके कारण अब विश्व विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में एससी एसटी ओबीसी के लोग प्रोफेसर एसोसिएट प्रोफेसर आदि नहीं बनेगे और इसमें विश्व विद्यालयों एवं महाविद्यालयों को युनिट न मानकर विभागों को यूनिट माना गया है
ये सब सडयत्र भारत के उच्चतम न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय में किए जा रहे हैं अगर किसी राज्य का न्यायलय बहुजन समाज के हित में फैसला देता है तो भारत का सुप्रीम कोर्ट उसे बदल देता है अगर किसी राज्य का न्यायलय बहुजन समाज के विपरीत फैसला देता है तो भारत का सुप्रीम कोर्ट उसी पर अपनी अनुमति दें देता है
आने वाले समय में यह फैसला भारत के सभी सरकारी विभागों में लागू कर दिया गया तो भारत तथा राज्य के किसी भी सरकारी विभाग में बहुजन समाज के लोगों को कभी भी सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी
(7) अगर इसके बाद 13 रोस्टर पोइंट की जगह 08 रोस्टर पोइंट लागू कर दिया तो बहजन समाज को सदियों की कटी बेड़ियों में फिर से जकड़ दिया जाएगा
(8)अन्त में साथियों में एक बात बताने जा रहा हूं कि कुछ लेखक बहुत ही  दुरदशी होते हैं जैसा कि एक फिल्म लेखक ने शूद्र इन राइजिंग फिल्म 2012 में बनाई थी जिसमें बहुजन समाज के साथ सदियों पहले हुआ था और कुछ जगहों पर तो आज भी ऐसा ही होता है परन्तु बहुजन समाज के लोगों ने ना ही शूद्र इन राइजिंग फिल्म देखी और ना उससे कुछ सीखा बहुजन समाज के वो अधिकाश जो लोग आरक्षण के दम पर नोकरी पाकर अम्बेडकर के मिशन को भुल गए और टीवी बीवी में मस्त हो गये और 13 रोस्टर पोइंट वो ही आधिकारी लोगों अधिक पीडा व जलन हो रही है आरक्षण के दम पर नोकरी पाकर टीवी बीवी में मस्त हो थे क्योंकि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा पाकर प्रोफेसर , अधिकारी बनने को तैयार हैं और ये अधिकार खत्म हो गया
 (9) मेरे समाज के मेरे उन युवाओं साथियों का क्या जो बचपन में बाल मजदूरी की और उसके बाद भी मजदूरी करके पढाई की बात तो उनकी है जिनके बाप आरक्षण के दम पर नोकरी पाकर टीवी बीवी में मस्त हो गए
(10) अन्त में साथियों हम अम्बेडकर वादी है संघर्षों के आदि है
  विचारक मजदूरी करके पढाई करने वाला है मजदूरी करके ही परिवार का पालन-पोषण करने वाला है
              मुनिराममु  गेझा(एक और विचारक)

Who to मुनीराम गेझा (एक और विचारक)

जब किसी देश या किसी स्थान की नया प्रणाली बिगड़ती है।
तो एक नयी क्रान्ति का जन्म होता है
   मुनिराम गेझा (एक और विचारक)