विश्व में भारत की मनुस्मृति शासन व्यवस्था और भारत में गुलामी का कारण और भारत में पुनर स्थापित भारतीय संविधान में दिए गए भारत की जनता के अधिकार समानता के अधिकार मौलिक कर्तव्य तथा भारत में मनुस्मृति के कारण शुद्र वर्ग को सदियों तक गुलाम बनाए रखने के सिद्धांत को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया गया और संविधान में उनको समान अधिकार दिया गया जिसके अनुसार भारत का बहुजन आज भारत का शासक वर्ग बनने को तैयार है और अखंड भारत को बुद्धि और विवेक से विश्व पटल पर दर्शाता है
गुरुवार, 16 जनवरी 2020
सन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण की ओर। मुनिराम गेझा( एक और विचारक )
सन्धि से राष्ट्रीयकरण ओर राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण की ओर-मुनिराम गेझा
HomeHindi संधि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर-मुनिराम गेझा
सिन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर-मुनिराम गेझा
सन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर-मुनिराम गेझा
Muniram October 30, 2019 2 Hindi, इतिहास
इस भारत के इतिहास में भारत देश को अशोक के बाद भिन्न-भिन्न छोटे-छोटे रजवाड़ों तथा राज्य में बटा और भिन्न-भिन्न राजा हुए अलग अलग नीतियां स्थापित के गई जिन राजाओं की नीति समान न्यायहीन रही होंगी और उनके राज्य का पतन आरंभ होने लगा होगा जिस कारण उन राजाओं को गुलाम बनाया गया होगा और उनके साथ उन राजाओं का पतन होना निश्चित था जिन राजाओं की नीति न्याय समानता कार्य प्रणाली थी और उन पर अनेक आपका मन हुए होंगे परंतु वर्ण व्यवस्था बनी रही । इसके विरोध में अनेक विद्वानों ने आवाज उठाई और संघर्ष किया परंतु कामयाबी नहीं मिली इन लोगों के संघर्ष से समाज में जागरूकता बढ़ती गई अंत में मुस्लिम राज स्थापित हुआ उन्होंने भी वर्ण व्यवस्था के खिलाफ कोई कार्य या आघात नहीं क्या जिस कारण वर्ण व्यवस्था पूर्णतः स्थापित रही फिर अंत में जाकर अंग्रेजों का शासन स्थापित हो गया जिसमें अंग्रेजों के साथ यहां के राजाओ द्वारा सिंधी स्थापित की इस सिंधी में राजा अपने राज्य से उत्पादन का कुछ भाग अंग्रेजों को दिया जाने लगा और उत्पादन का वह भाग उस वर्ण का था और उनके लोगों पर अधिक अत्याचार बढ़ गए रजवाड़ों के मालिकों द्वारा अधिक उत्पादन करने को बांदे क्या जाने लगा और उनका शोषण होने लगा जो मेहनत कर उत्पादन और धन अर्जित करने का माध्यम था जिसका समाज में एक नाम प्रचलित हो गया जिसका नाम जिमेदारी प्रथा था इस जिमेदारी प्रथा में गांव गांव में एक मुखिया बना दिया जाता था जो पहले से ही गांव के लोगों का शोषण करता था इसी तरह अलग-अलग गांव में अलग अलग मुखिया होता इस प्रकार गांव गांव से उत्पादन माल और धन अर्जित कर रजवाड़े के मालिक राजा के पास राजा के लिए जाता था जिसने केवल अपने हित के लिए अंग्रेजों से सिंधी ली थी। और इस प्रकार अंग्रेजों को उत्पादन का अच्छा माल और धन जाता रहा भारत के विभिन्न रजवाड़ों के राजाओं द्वारा अंग्रेजों की साथ की गई सिंधी ही आजाद भारत के वर्तमान भारत की निजीकरण नहीं सिंधी है जिसके द्वारा भारत की संपत्ति को सरकार द्वारा निजी मालिकों को बेचना और सरकार द्वारा चुपके से धन अर्जित करना ही भारत सरकार की निजी लोगों के साथ निजीकरण नहीं अंग्रेजों के सिंधी है। जिसमें भारत के करोड़ों युवाओं का शोषण होने के साथ-साथ बेरोजगारी जैसी बीमारी का जन्म हो रहा है अंग्रेजों की सिंधी का निजीकरण का नया नाम बेरोजगारी है और मनुस्मृति का नया अध्याय निजीकरण है
अंग्रेजों और भारत के वर्ण व्यवस्था के सबसे निचले वर्ग के लोग अंग्रेजों के नीति और शिक्षा और सिद्धांत समान अधिकार पर पढ़ने वाला प्रभाव
लार्ड मैकाले ने भारत में पहली बार दलितों वंचितों के लिए नई शिक्षा नीति की नींव रखी और 6 अक्टूबर 1860 को लार्ड मैकाले द्वारा लिखी गई भारतीय दंड संहिता लागू हुई और मनुस्मृति की वर्ण व्यवस्था नीति खत्म हुई जिस कारण अंग्रेजों भारत से भगाने की योजना तैयार की गई जब तक अंग्रेज जाने को तैयार हुए जब तक अंग्रेजों ने भारत में धर्म मनुस्मृति और जाति के आधार पर होने वाले अत्याचार को समाप्त करने का संपूर्ण कानून और समान शिक्षा अधिकार ,संपत्ति में व्यवसाय में भारतीय राजव्यवस्था में आदि का कानून बना दिया था अंत में भारत आजाद होने की क्रांति हो गई इसी के साथ भारत आजाद हो गया और आजाद होने से पहले भारतीय संविधान का निर्माण हुआ जिसको डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा तैयार किया गया और इस संविधान में वर्ण व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया और इस संविधान में भारत के सभी लोगों को समान शिक्षा समान संपत्ति तथा धर्म मनुस्मृति और जाति के आधार पर होने वाले अत्याचार के लिए कठोर कानून स्थापित किए गए जो अंग्रेजों के कानून के समक्ष थे भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया इसके बाद सरकारों द्वारा निजी संस्थानों का राष्ट्रीयकरण हुआ भारत में रोजगार के रास्ते संपन्न होने लगे इसके बाद धीरे धीरे भारतीय सरकार द्वारा स्थापित नए संस्थान एवं राष्ट्रीयकरण हुए संस्थानों का फिर से निजीकरण और धीरे धीरे रोजगार समाप्त होने लगे सबसे बड़ा निजीकरण रेलवे का हुआ जिस कर बिहार में आंदोलन होने लगा भारत के समस्त युवाओं से आशा है कि इस आंदोलन को सफलता की ओर
निजीकरण का चुनाव में पढ़ने वाला प्रभाव, आने वाले लोकसभा चुनाव में धर्म का नहीं अब तक जितने भी सरकारी विभागों का निजीकरण हुआ है उनका फिर से राष्ट्रीयकरण हो और उन सभी निजी विभागों का राष्ट्रीयकरण होना चाहिए जिनमें 1000 या उससे अधिक रखते कार्यरत हो
लेखक की कलम के दो शब्द
पहले सिंधी और आजाद भारत में अर्ध सरकारी गैर सरकारी संस्थानों का राष्ट्रीयकरण हुआ और फिर निजीकरण लगा और फिर राष्ट्रीयकरण का अध्याय को कौन करेगा पूरा ………………………………………………………
………………………………………..
मुनिराम गेझा( एक और विचारक)
Digiprove sealCopyright secured by Digiprove © 2019 Sahity Live
All Rights Reserved
About the Author
muniram
socicalvicharak.blogspot.com
Visit: मेरी प्रोफाइल | पसंदीदा वेबसाइट
कोन है समझाने वाले लोग – मुनिराम गेझा - January 13, 2020
कोन है समझाने वाले लोग-मुनिराम गेझा - January 13, 2020
बोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा - November 25, 2019
कलम या हथियार हो -मुनिराम - November 12, 2019
ईमानदारी एक जीवन की शैली है- मुनिराम - November 1, 2019
सिन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर-मुनिराम गेझा - October 30, 2019
सिन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर- मुनिराम गेझा - October 29, 2019
प्रदर्शनकारी को आतंक का नाम देने वालों का चेहरा – मुनिराम गेझा - September 21, 2019
सपनों का इंधन -मुनिराम गेझा - August 23, 2019
कलम की ताकत की कल्पना -मुनिराम - August 20, 2019
View All Articles
0
Post Views: 135
Your smile — Kakali Mazumdar
तरी यादें-तनूजा बंगला
COMMENTS
info lebih lengkap October 31, 2019 at 6:16 pm
Hi it’ѕ me, I am also visiting this site regulаrly, this web page is
in ffact pleasant and the users are in faⅽt sharing fastidious thoughts. http://Caiyuu.com/comment/html/?145737.html
0
informasi Selanjutnya November 1, 2019 at 2:00 am
I like thһe helpful info you provide in your articles.
I will bookmark your webloɡ and check аgain herre regularly.
I’m qսite sure I’ll learn plenty oof new stuff right here!
Gooⅾ luck for the next! http://www.shidaifangchan.com/comment/html/?158022.html
0
LEAVE A COMMENT
Logged in as muniram. Log out?
Comment *
About the Author
muniram
socicalvicharak.blogspot.com
Visit: मेरी प्रोफाइल | पसंदीदा वेबसाइट
कोन है समझाने वाले लोग – मुनिराम गेझा - January 13, 2020
कोन है समझाने वाले लोग-मुनिराम गेझा - January 13, 2020
बोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा - November 25, 2019
कलम या हथियार हो -मुनिराम - November 12, 2019
ईमानदारी एक जीवन की शैली है- मुनिराम - November 1, 2019
सिन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर-मुनिराम गेझा - October 30, 2019
सिन्धि से राष्ट्रीयकरण और राष्ट्रीयकरण से निजीकरण से फिर राष्ट्रीयकरण ओर- मुनिराम गेझा - October 29, 2019
प्रदर्शनकारी को आतंक का नाम देने वालों का चेहरा – मुनिराम गेझा - September 21, 2019
सपनों का इंधन -मुनिराम गेझा - August 23, 2019
कलम की ताकत की कल्पना -मुनिराम - August 20, 2019
View All Articles
MEMBERS
NEWEST ACTIVE POPULAR
Profile picture of Muskaan-Sinha
Muskaan-Sinha
ACTIVE 57 SECONDS AGO
Profile picture of muniram
Muniram
ACTIVE 3 MINUTES AGO
Profile picture of Poonam Dahiya
Poonam Dahiya
ACTIVE 38 MINUTES AGO
Profile picture of DishaLive Group
DishaLive Group
ACTIVE 42 MINUTES AGO
Profile picture of ❤️तुझसे नहीं मैं खुद की किस्मत से खफा हूं😔
❤️तुझसे नहीं मैं खुद की किस्मत से खफा हूं😔
ACTIVE 49 MINUTES AGO
MEMBERS ACTIVITY REVIEWS PUBLISH PRIVACY POLICY COPYRIGHT
Designed By: DishaLive Web Design & Solutions
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें