गुरुवार, 16 जनवरी 2020

कलम हों या हथियार हों( मुनिराम गेझा एक और विचारक )

कलम या हथियार हो कलम हो या हथियार हो बस बदलें का इंतकाम हो बदल नहीं सकता इंतकाम का इरादा मेरा जहां छिन गया मेरा अधिकार हो ।। गेर कलम हथियार उठाया बदलें का ये अब दौर है अब मैंने ठाना बदले का इंतकाम कमाना है जहां छिन गया मेरा अधिकार हो।। हे मात पिता तुमसे माफी मांगू हथियार के शिवा कोई साथी मेरा जहां छिन गया मेरा अधिकार हो।। नोकरी नहीं अब इंतकाम रास्ता मेरा गेर कलम जब उठा लिया हथियार हो लोट नहीं सकता दोबारा रास्ते पे उस पर जहां छिन गया मेरा अधिकार हो

कोई टिप्पणी नहीं: