शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

मुजरिम का कातिल कोन मुनिराम गेझा ( एक और विचारक )

मुजरिम का कातिल कोन मुनिराम गेझा ( एक और विचारक ) इस संसार में मनुष्य द्वारा बनाए गए समुदाय और समुदाय से धर्मों का निर्माण हुआ होगा जिसका उद्देश्य सिर्फ इतना होता था कि वह अपने सकारात्मक व्यक्तित्व से उस समुदाय के जीवन से सम्बंधित मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति उन के जीवन की रक्षा करता है जिस कारण वह समुदाय उसको अपने जीवन का आदर्श और पालनहार मानने लगता है और इस व्यक्तित्व से ही विभिन्न व्यक्तित्व वाले व्यक्तियों निर्माण होता है इसी बीच धार्मिक - आस्तिक , नास्तिक -अ धार्मिक , वास्तविक - वेज्ञानिक युगो का आरम्भ हुआ और इन विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों के समुदाय में एक दूसरे को अपने में मिलाने की अभिलाषा जाग्रत होने लगी और यही से युद्ध आरम्भ होने लगें होंगे जीत गया ( राजा ) और जो हार गया (गुलाम) और यही से वर्ण व जातियों का निर्माण हुआ जिस समुदाय की जनता को जीत मिली वह उच्च जाति और जिस समुदाय की जनता को हार मिली शूद्र , नीच और हारे हुए समुदाय के अधिकारों को पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए वर्णों का निर्माण कर गुलामी को जन्मसिद्ध अधिकार स्थापित कर दिया गया इसी गुलामी में अमानवीय अत्याचार की अनगिनत इमारत बन सारी हदें गुजर गयी और राजतंत्र बदलते गए परन्तु अमानवीय अत्याचार की सीढ़ियां घुटने की बजाय बढ़ी धर्म आधारित , वर्ण आधारित , जाति आधारित , परंतु वर्ण के खिलाफ किसी भी शासक ने करवट नहीं बदली जब अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाया और कुछ समय बाद भारत में कानून बनाकर न्याय , शिक्षा , उधोगिक क्रान्ति बीज रोप दिया इन सब को पूर्ण रूप से स्थापित करने के लिए उच्च श्रेणी के आयोग की स्थापना हुई सबको न्याय , शिक्षा , रोजगार व कड़े कानून स्थापित कर अधिकार स्थापित कर दिये गए। और अमानवीय अत्याचार पर अधिकतर प्रतिबंध लगा दिए गए थे और जिस शूद्र वर्ण अमानवीय अत्याचार के जुल्म को सदियों से ढो रहा था अब अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून से उसको उनके अधिकार मिल रहें थे यह कार्य साइमन कमीशन बहुत ही तेज़ी और सूझबूझ से कर रहा था साइमन कमीशन के कानून के बढ़ते प्रभाव को अंग्रेजों को भारत से भगाने का निर्णय लिया गया जिसका कारण तीनों वर्णों से लेकर साइमन कमीशन द्वारा शूद्र वर्ण को अधिकार दिए जा रहे थे और अंग्रेजों को भारत से भगाना जाने लगा जिसको नाम दिया भारत की आज़ादी की क्रान्ति भारत को अंग्रेजों से आजादी चाहिए थी परंतु भारत के शूद्र वर्ण को अंग्रेजों से ज्यादा मनुस्मृति और मनुवाद , पाखंडवाद , धर्मवाद ,उच - नीच , जात - पात , भेद - भाव से आजादी चाहिए थी अंग्रेजों के बाद बहुजन समाज के समस्त अधिकारियों का रास्ता भारतीय संविधान हैं। परन्तु भारतीय संविधान में अमानवीय अत्याचार के खिलाफ इतने कड़े कानून कानूनों का प्रावधान है फिर भी आजाद भारत में आज भी मुम्बई में गन्ने की छिलाई के लिए एक साहूकार द्वारा 35 - 45महिलाओ के पर दबाव बनाकर प्राईवेट पार्टस निकलवाने को मजबूर किया गया , गुजरात का ऊणा काण्ड , राजस्थान में पति-पत्नी को पति के सामने महिला के बलात्कार करना , घरों में आग लगा कर मार देना , मध्यप्रदेश में रास्ते किनारे सोचालय करने के कारण दो बच्चों की मौत के करना , या यू पी में सहारनपुर की घटना या अम्बेडकर और बुद्ध की कथा करने बहुजन समाज पर हमला करना , हरियाणा में बहुजन समाज के हाथ पैर काटना और राजस्थान के नागौर में युवक के साथ मात्र 100 रपये चोरी का आरोप लगा कर सात लोगों द्वारा एक युवक के प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल डालना आदि ना जाने समस्त भारत में रोज कितनी घटना होती है जो पत्रकारिता मिडिया नहीं दिखाती है जब उन घटनाओं पर शोसल मिडिया के माध्यम से शासक , प्रशासन के लिए एक आन्दोलन का रूप लेती है जब जाकर कुछ कार्यवाही होती है फिर भी पीड़ित को ना तो उचित सहायता और उचित धाराओं में कार्यवाही का ना होना। ऐसी घटनाओं से मन विचलित होना लाजिमी है मेरे मन में बार बार एक ही सवाल और मुझे परेशान कर रहा था आखिर कब ऐसी घटनाओं का अन्त होगा क्योंकि कुछ ही समय की कारावास के बाद आरोपी उसी खुली हवाओं में और घरनित घटनाओं को अनजाम देने के लिए आ जाते और आरोपी मनविचल करने वाली घटनाओं के आरोपी कारावास के बाद भी शान से जी सकते हैं तो ऐसे घटनाओं के आरोपी की मृत्यु करने के बाद हम क्यों नहीं और यह कार्य करने के लिए उन्हीं लोगों को तैयार करना होगा जिन लोगों के साथ उपरोक्त घटनाएं हो चुकी है क्योंकि स्वाभिमान और इज्जत से बडी - जेल नहीं और बहुजन समाज की बहनों से भी यही कहना चाहूंगा कि जिनके साथ बलात्कार जैसी घटनाएं हो चुकी है अगर कोई आप की इज्जत पर हमला करें तो आप उसकी ज़िन्दगी पर हमला कर दो पुनः स्वाभिमान और इज्जत से बडी जेल नहीं और हों ऐसे संगठन का निर्माण उपरोक्त जेसी घटनाओं के आरोपी को कानून की गिरफ्त से पहले या बाद में सिर्फ मृत्यु और कह दो मुजलिम का कातिल मैं हूं यह कार्य जिला , राज्य ,ही नहीं देशव्यापी हो क्योंकि जब एसी घटनाओं को अनजाम देकर और सजा पाकर भी आरोपी सर उठाकर जीने का साहस करते हैं। तो तुम क्यों नहीं और तुम अपनी इज्जत की रक्षा और मान स्वाभिमान के बचाने के लिए आरोपी की मृत्यु भी क्यों ना करनी पड़े और सजा के बाद समाज में सर उठाकर कर स्वाभिमान के साथ जियो मुझे और मेरे लेख को बेसब्री से इंतजार होगा लोग फूलन देवी के कार्य को (नैशनल स्वाभिमान फूलन देवी ओरगेनाईजेशन ) स्तम्भ बनाएगा अर्थात मुजरिम का कातिल कोन लेखक की कलम के दो शब्द सत्तर सालों में भी भारत की सत्ता शासन और न्याय प्रणाली यह साबित करने का प्रयत्न करती है कि अपराध समाप्त हुआ है उसके अगले ही कुछ समय बाद ऐसी घटनाएं घटित हो जाती है जिसमें भारत को विश्व पटल के मंच पर शर्मशार होना पड़ता है और सबके मनविचल हों जातें हैं परंतु ( एक और विचारक ) तो कलम विचलित हो गई और मेरे मन ने लिखा उपरोक्त मुनिराम गेझा ( एक और विचारक )

कोई टिप्पणी नहीं: