सदियों से हो रहें छुआ छात, रंग भेद, शोषण अत्याचार को जब समय बार बार दहोराता है तो सूरज की किरणों के साथ एक किरण और फूटती है वह अपने आप में क्रान्ति, स्वतन्त्रता साबित होती है
              मुनिराम गेझा (एक और विचारक)

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