बुधवार, 15 जनवरी 2020

बहुजन भारत की संरचना

सभारत की संरचना -मुनिराम गेझा . August 30, 2019 0 Hindi, मेरे विचार है आभी ये गीली मिट्टी का बुत संभाल कर चाक तक पहुंचाना है आभी बाकी तेरी हो ये रूम हो कर्म इस पर तेरा ऐसा बने भीम विचारों का बर्तन तेरे जैसा विचारों के चाक पर ढाल ऐसे इसको मोत भी तेरी रोक ना पाएं इसको कभी घर अपना विचार धारा मनुवाद बना ना सके लहु ऐसा अम्बेडकर क्रान्ति संचालित करा दे मस्तिष्क में इसके कोई कलम भीम के संविधान की हाथ में थमा दे इसके जब क्रान्ति जवानी इसकी ना रोक सके मनुवादी बेड़ियां घर के इसकी बताने लग जा अम्बेडकर वादियों के विचार इसको जब अधिकारों का शोषण हो बहुजन समाज के तेरे युद्ध तुझको ऐसा करना है तुझको को शोषण बुद्ध चरणों में सुलाना है जवा होकर शोषितों उद्धारक बना है तुझको ऐसा कर्म करना है तुझको बुत और खुद जवानी में देश के प्रति फर्क लगे ना किसी को समझाने तू लग जा एक और विचारक के विचारों की क्रांति है इनमें कुछ भीम मिशन और संविधान के अंशों की कहानी क्योंकि एक और विचारक को ज़िन्दगी और मौत में कभी नहीं लगता इसलिए सोपने लग जा अपने विचारों की क्रांति में विरासत तू क्योंकि बुतो में भी क्रांतियों एक रूत बना दे तू जिनके शोषण होते और मिलता नहीं न्याय और अधिकार एक और विचारक चला कलम एसी अन्याय के खिलाफ चल कर बन न्याय की तलवार मुनिराम गेझा ( एक और विचारक)

बुद्ध के अनुयायी है कि

सा बोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा Homeकविताएँबोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा बोल ( 85 ) बहुजन मुलनिवासी की भारत में पहचान-मुनिराम गेझा Muniram November 25, 2019 0 Hindi, कविताएँ बुद्ध के अनुयायी है।हम अपने माता-पिता की एक आस है। हम अनार्यों की पहचान है। हम शंबूक ऋषि के शिष्य हैं। हम रावण के मस्तक है। हम एकलव्य के बान है। हम कबीर पंथ की तेज धार है। हम रविदास की कटौथी व रफी है। हम पांच सौ महार वीरों के खून से बने स्तम्भ की अशंख ईंट है। हम ज्योतिबा फुले व सावित्री के ख्वाब हैं। हम बिरसा मुंडा और मातादीन भंगी की जान है। हम चमार रेजीमेंट के वीर जवानों के आज के शौर्य का कल है। हम उधम सिंह की रिवाल्वर ( पिस्तौल) है। हम छत्रपति साहू जी राजा के राज के उत्तराधिकारी है। हम अंबेडकर के संविधान की शान व कलम की चाल है। हम नारायण गुरु के संस्कार हैं। हम पेरियार सिद्धांत के समर्थक है। हम क्योंकि पाखंडवाद अंधविश्वास के खिलाफ एक मार्ग है। हम विश्व में भारत की शान है। हम अंबर का नीला सलाम है। हम क्योंकि काशीराम की सिचि राजनीति का एक बाग है। हम बहन मायावती की राजनीति की ललकार है। हम फूलन देवी की महिमा शोषण के खिलाफ एक आवाज है।हम शिक्षा की उन्नति की मिसाल का एक स्तम्भ है। हम इक्कीसवीं सदी के शासक है। हम एक और विचारक के अभी सार ( वार ) है। हम सतकल नहीं कलम युग के रावण है। हम क्योंकि समस्त शोषण अत्याचार ब्रह्मास्त्र के खिलाफ एक भीमरावाशत्र है। हम

शनिवार, 11 जनवरी 2020

कोन है समझाने वाले लोग (मुनिराम गेझा एक और)

मुनिराम गेझा ( एक और विचारक ) 02-01-2020 कौन है समझाने वाले लोग जो लोग तुम्हारे अधिकार छीन लेगे वहीं लोग आप को समझाने आएंगे हमने तुम्हारे अधिकार अपने पास गिरवी रख लिए हैं क्योंकि तुम उनकी सुरक्षा नहीं कर सकते हम आपके अधिकारों को छीन कर ही हम आपके अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं जब तुम लोग अपने अधिकारों को अपने पास रखोगे तो इन अधिकारों से अपने भविष्य की उन्नति का एक विशाल स्तंभ विश्व के पटल पर स्थापित कर लोगे जो हमें हरगिज़ मंजूर नहीं होगा भारत में जिन शोषित लोगों अपने अधिकार सुरक्षित रखने की है इस लोकतंत्र के भारत में पाखंडवाद को छोड़कर शिक्षा ,संगठन और संघर्ष का रास्ता सदैव के लिए उत्पन्न करें आने वाली भविष्य की पीढ़ियों को नया रास्ता बनाने की जरूरत ना पड़े और और सामाजिक कारवां को वहीं से लेकर चलें जहां पर जिसको तुम लोगों ने छोटा हो अगर आने वाली भविष्य की हर नई पीढ़ी को नया रास्ता तैयार करना पड़ेगा तो तुम्हारे दिए हुए सामाजिक , लोकतांत्रिक, राजनीतिक , आर्थिक और शोषण की राजनीति से आजादी पानी है तो राजनीति का हिस्सा वह हिस्सा बने जो आपके अधिकारों को आपसे छीन कर गिरवी रखने का साहस ना करें परंतु आपकी सोच और मस्तिष्क अपने समाज के प्रति सकारात्मक हो क्योंकि आपकी सोच और मस्तिक से आपके विचारों और आप की राजनीति का सफर को अधिक लंबा बनाने के प्रति सामाजिक चेतना के प्रति आपकी परीक्षा होगी जो आपको समय-समय पर देनी पड़ेगी क्योंकि आपके दुश्मन और आपके अधिकार छीन कर गिरवी रखने वाले लोग आपके साथ हमेशा युद्ध की भक्ति छल कपट से आपके अधिकारों को छीनने का प्रयत्न करेंगे आपका दुश्मन इस लोकतंत्र की राजनीति में आपकी परछाई की तरह तुम्हारे साथ चलेगा और उसकी सोच को पहचानने में आपको कठिन परिश्रम करना पड़ेगा जिससे बहुजन समाज पग पग पर अपने अधिकार खोकर दलदल में धसता रहा है इसके मुख्य कारण हो सकते हैं, शिक्षा का भाव आर्थिक शोषण सामाजिक शोषण और नशे के प्रति जागरूकता ने होना यही कारण बहुजन समाज को हमेशा पीछे रहने का कारण प्रदर्शित करता रहा है और कुछ लोग इन सब के जानकार होने के बावजूद भी अपने बहुजन समाज की उन्नति के लिए पे बैक टू सोसाइटी जा रहा हूं विचार भूलकर टीवी और बीवी मस्त हो गए हैं वह लोग समझते हैं जो हमने पाया है वह सिर्फ हमारी अपनी मेहनत हैं ना कि बाबा साहब द्वारा लिखित संविधान में दिए गए अधिकारों के द्वारा मिला है मुनिराम गेझा ( एक और विचारक )

बुधवार, 8 जनवरी 2020

बुधवार, 13 नवंबर 2019

प्राकृतिक आपदाओं का जन्म

सब मनुष्य मूर्ख है। क्योंकि इस संसार में जीव जंतु, पेड़ पौधे, खनिज पदार्थ, तथा अन्य सब इस धरा की रक्षा करने वाले हैं और मनुष्य अपने जीवन के स्वार्थ के लिए उपरोक्त का सदियों से उपयोग कर रहा है बस इसी बात को अपने जीवन की उपलब्धि बताता है। उन सब मनुष्यों में से एक में भी हूं जिस कारण विभिन्न प्रकार की आपदाओं का जन्म होता है मुनिराम गेझा ( एक और विचारक ) सामाजिक एवं अन्य सामाजिक विचार मुनिराम गेझा (एक और विचार)

न्याय और न्यायलय

जिस देश के सर्वोच्च न्यायलय को संविधान में जनता के मोलिक अधिकारों का संरक्षक के रूप में नामित किया हों अगर वो ही सर्वोच्च न्यायलय उस देश के करोड़ों लोगों (दलित आदिवासी) के अधिकारों को नष्ट कर सदा के लिए उनके अधिकारों से वंचित कर दें और उस देश की सरकार एवं मिडिया आदि सब चुप रहें तो। दलित आदिवासी समाज उन सब के खिलाफ हथियार उठाकर क्रान्ति करना लाजिमी है। मुनिराम गेझा ( एक और विचारक) सामाजिक एवं अन्य सामाजिक विचार मुनिराम गेझा (एक और विचार)

रविवार, 24 मार्च 2019

भारतीय संविधान की प्रति जलानें को इस कविता के माध्यम से जवाब

जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलागे।। जलाया है संविधान क्यों तुमने इसका अहसास हम तुम्हें कराएंगे। आज नहीं तो कल इसी संविधान दिला कर सजा सलाखों के पीछे हम तुम्हें पहुंचाएंगे। मनुवादियों अम्बेडकर की तुम धूल भी नहीं फिर विश्व से कैसे भीम को समाप्त कर पाओगे। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। जब करा था अपमान तिरंगे (चोरगे)का पी एम मोदी ने तब भी एक और विचारक ने चेताया था। जब जब तोड़ी अम्बेडकर और लेकिन की मूर्ति तब तब मनु के पाखण्डवाद को बढ़ाना चहाया था। जब हों जाएगी नागरिकता खत्म तुम्हारी फिर अपने आप को भारतीय कैसे कहलोगे। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलागे।। पैदा कर फिर मनुवाद को तुम भारत में वर्ण व्यवस्था स्थापित करना चाहोगे। लगाओ चाहें जोर जितना तुम फिर किसी के गुलाम हो जाओगे। सोच (मानसिकता) तुम्हारी सदियों पुरानी स्त्री को सम्भोग की वस्तु बनना चाहोगे। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। बुद्ध की धरती से आया हूं मित्रों अन्य देशों में बखान करते रहते हों। धन मांगते बुद्ध के नाम पर आकर देश में जाति और धर्म में तुम लड़वाते हों। और मनुवाद में लगाते हों संदेश मिटाकर बुद्ध के भारत से सनातन धर्म की सोच लाना चहोगे। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। यही होगी मनुवादियों भूल तुम्हारी फिर अपनी स्त्रियों को शूद्र अछूत कहलाएंगे। मनुवादियों फिर रहोगे गुलाम सदियों तक विदेशियों के अंबेडकर दूसरा कहां से लाओगे। मनु वादियों फिर लुटे और टूटेंगे एक दिन मंदिर तुम्हारे दास विदेशियों के तुम बन जाओगे। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। मनुवादियों जिस संविधान से सत्ता में बैठे तुम उसी को संविधान तुम जलवाते हों । लेकिन सत्ता के साथ तुम खुद ही एक दिन जल जाओगे। मनुवादियों याद रखना एक दिन सलाखों के पीछे हम तुम्हें पहुंचाएंगे। जलाया है सविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। उखाड़ फेंको इन सरकारों जिसने भारतीय संविधान को जलाया है। जलाकर मन वादियों सविधान तुमने गृह युद्ध को जगाया है। हम वंशज हैं शंबूक ऋषि बिरसा मुंडा फुले शाहू और भारतीय संविधान को जिसने बनाया है। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे है।। संविधान जलाकर तुम मनुवादियों ने बहुजनो को ललकारा है। करने सफाया मनुवादियों का कलम युग के रावन अशंख जन्म इस प्रथ्वी पाजाएगे। गुलाम कुर्सी के जो बैठे हैं उन्होंने संविधान का ये हाल करवाया है। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। चलो करे बहुजन मिलकर संघर्ष एक और विचारक ऐसा लिख पाया है। भीम के संविधान की अस्मिता का कर्ज चुकाने का अन्तिम समय आया है। हो गया फिर भारत गुलाम किसी का मनु की वर्ण व्यवस्था ही दोषी कहलाएगी। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। अखण्ड रखने इस भारत संविधान में धर्मनिरपेक्षता का सार भीम ने अपनाया था जलाया है संविधान क्यों तुमने इसका अहसास हम तुम्हें कराएंगे। मनुवादियों फिर रहोगे गुलाम सदियों तक विदेशियों के तो अम्बेडकर दुसरा कहा से लाओगे। अम्बेडकर दुसरा कहा से लाओगे। अम्बेडकर दुसरा कहा से लाओगे। मुनिराम गेझा (एक और विचारक) सामाजिक एवं अन्य सामाजिक विचार

बुधवार, 20 मार्च 2019

सुबह का इंतजार और मौत का पैगाम

हर कोई सुबह का इंतजार करता है ना जाने कितने प्राणियों को आंखों की नींद खुलने से पहले मौत का पैगाम मिलता है जगाती है धरोहर उसकी सारी उसको जैसे फिर भी उसके कुछ कहने की आस होती है मिट गया हो जिसका अवशेष यहां से गुड मॉर्निंग से पहले अंतिम उसकी वह रात होती है विचार की भांति रह गई बा की स्कीम अकाश होती है सामाजिक एवं अन्य सामाजिक विचार मुनिराम गेझा (एक और विचार)

महिला सशक्तिकरण और होली का दहन

जिस देश में महिला सशक्तिकरण का दौर राष्ट्रीय स्तर पर चल रहा हो उसी देश में रामायण के नाम पर शुफखा के साथ अत्याचार और सीता को घर से निकालने एवं महाभारत में पत्नी को जुए में हराने आदि का पथ प्रदर्शन किया जाता है तथा उसी देश में होली के नाम पर करोड़ों जगह एक महिला के स्वरूप का दहन किया जाता है उस देश में महिला सशक्तिकरण को पूर्ण रूप से स्थापित नहीं किया जा सकता है मुनिराम गेझा (एक और विचारक)
सामाजिक एवं अन्य सामाजिक विचार मुनिराम गेझा (एक और विचार)

मंगलवार, 12 मार्च 2019

मैं जिस मार्ग पर चल कर जिस व्यक्ति का मार्गदर्शन करता हूं मैं व्यक्ति को अपने चरणों में नहीं बल्कि उस मार्ग का कीर्तिमान के रूप में देखना हूं यही मेरे अतुल्य जीवन के संघर्षों का ही परिणाम होगा मुनिराम गेझा (एक और विचारक)