बुधवार, 13 नवंबर 2019

न्याय और न्यायलय

जिस देश के सर्वोच्च न्यायलय को संविधान में जनता के मोलिक अधिकारों का संरक्षक के रूप में नामित किया हों अगर वो ही सर्वोच्च न्यायलय उस देश के करोड़ों लोगों (दलित आदिवासी) के अधिकारों को नष्ट कर सदा के लिए उनके अधिकारों से वंचित कर दें और उस देश की सरकार एवं मिडिया आदि सब चुप रहें तो। दलित आदिवासी समाज उन सब के खिलाफ हथियार उठाकर क्रान्ति करना लाजिमी है। मुनिराम गेझा ( एक और विचारक) सामाजिक एवं अन्य सामाजिक विचार मुनिराम गेझा (एक और विचार)

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