रविवार, 24 मार्च 2019

भारतीय संविधान की प्रति जलानें को इस कविता के माध्यम से जवाब

जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलागे।। जलाया है संविधान क्यों तुमने इसका अहसास हम तुम्हें कराएंगे। आज नहीं तो कल इसी संविधान दिला कर सजा सलाखों के पीछे हम तुम्हें पहुंचाएंगे। मनुवादियों अम्बेडकर की तुम धूल भी नहीं फिर विश्व से कैसे भीम को समाप्त कर पाओगे। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। जब करा था अपमान तिरंगे (चोरगे)का पी एम मोदी ने तब भी एक और विचारक ने चेताया था। जब जब तोड़ी अम्बेडकर और लेकिन की मूर्ति तब तब मनु के पाखण्डवाद को बढ़ाना चहाया था। जब हों जाएगी नागरिकता खत्म तुम्हारी फिर अपने आप को भारतीय कैसे कहलोगे। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलागे।। पैदा कर फिर मनुवाद को तुम भारत में वर्ण व्यवस्था स्थापित करना चाहोगे। लगाओ चाहें जोर जितना तुम फिर किसी के गुलाम हो जाओगे। सोच (मानसिकता) तुम्हारी सदियों पुरानी स्त्री को सम्भोग की वस्तु बनना चाहोगे। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। बुद्ध की धरती से आया हूं मित्रों अन्य देशों में बखान करते रहते हों। धन मांगते बुद्ध के नाम पर आकर देश में जाति और धर्म में तुम लड़वाते हों। और मनुवाद में लगाते हों संदेश मिटाकर बुद्ध के भारत से सनातन धर्म की सोच लाना चहोगे। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। यही होगी मनुवादियों भूल तुम्हारी फिर अपनी स्त्रियों को शूद्र अछूत कहलाएंगे। मनुवादियों फिर रहोगे गुलाम सदियों तक विदेशियों के अंबेडकर दूसरा कहां से लाओगे। मनु वादियों फिर लुटे और टूटेंगे एक दिन मंदिर तुम्हारे दास विदेशियों के तुम बन जाओगे। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। मनुवादियों जिस संविधान से सत्ता में बैठे तुम उसी को संविधान तुम जलवाते हों । लेकिन सत्ता के साथ तुम खुद ही एक दिन जल जाओगे। मनुवादियों याद रखना एक दिन सलाखों के पीछे हम तुम्हें पहुंचाएंगे। जलाया है सविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। उखाड़ फेंको इन सरकारों जिसने भारतीय संविधान को जलाया है। जलाकर मन वादियों सविधान तुमने गृह युद्ध को जगाया है। हम वंशज हैं शंबूक ऋषि बिरसा मुंडा फुले शाहू और भारतीय संविधान को जिसने बनाया है। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे है।। संविधान जलाकर तुम मनुवादियों ने बहुजनो को ललकारा है। करने सफाया मनुवादियों का कलम युग के रावन अशंख जन्म इस प्रथ्वी पाजाएगे। गुलाम कुर्सी के जो बैठे हैं उन्होंने संविधान का ये हाल करवाया है। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। चलो करे बहुजन मिलकर संघर्ष एक और विचारक ऐसा लिख पाया है। भीम के संविधान की अस्मिता का कर्ज चुकाने का अन्तिम समय आया है। हो गया फिर भारत गुलाम किसी का मनु की वर्ण व्यवस्था ही दोषी कहलाएगी। जलाया है संविधान तुमने देशद्रोही तुम कहलोगे।। अखण्ड रखने इस भारत संविधान में धर्मनिरपेक्षता का सार भीम ने अपनाया था जलाया है संविधान क्यों तुमने इसका अहसास हम तुम्हें कराएंगे। मनुवादियों फिर रहोगे गुलाम सदियों तक विदेशियों के तो अम्बेडकर दुसरा कहा से लाओगे। अम्बेडकर दुसरा कहा से लाओगे। अम्बेडकर दुसरा कहा से लाओगे। मुनिराम गेझा (एक और विचारक) सामाजिक एवं अन्य सामाजिक विचार

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