बुधवार, 20 मार्च 2019

सुबह का इंतजार और मौत का पैगाम

हर कोई सुबह का इंतजार करता है ना जाने कितने प्राणियों को आंखों की नींद खुलने से पहले मौत का पैगाम मिलता है जगाती है धरोहर उसकी सारी उसको जैसे फिर भी उसके कुछ कहने की आस होती है मिट गया हो जिसका अवशेष यहां से गुड मॉर्निंग से पहले अंतिम उसकी वह रात होती है विचार की भांति रह गई बा की स्कीम अकाश होती है सामाजिक एवं अन्य सामाजिक विचार मुनिराम गेझा (एक और विचार)

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