गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

                 

                              वेलेंटाइन डे नहीं टेलेंट चाहिए

        राम नहीं रावण चाहिए
        जो कर दे बहन की इज्जत की अपने राज्य को समाप्त
        सीता नहीं फूलन देवी चाहिए
        जो मिटा दे अपनी इज्जत के हत्यारों के नामों निशान
        वेलेंटाइन डे नहीं टेलेंट चाहिए
        जो मिटा दे पापों की दुनिया बनाने वालों के निशान
        इजहार करो प्रकृति और मानवता के प्रेम का
        जो खिलने ना दे फूल तुम्हारे पापों के निशान का
        बोझ बन जाती है जिन्दगी
        जब फूल खिलने लगते तुम्हारे पापों के निशान के
        क्यों रोपते हो बीज पाप के उस उस फूल के निशान का
        ना जाने उसका कोई क्यो हकदार नहीं होता
        समझो देश के नौजवानों उसका कोई किरदार नहीं होता
        एक और विचारक की ये कहानी है यारों
        उपरोक्त में ना जाने कितनी नर्क जिन्दगी बन जाती है यारों
        कोई करता आत्म हत्या और छूपाऐ अपनी लाज ये
        वो ही करता विश्वासघात आप से घर छोड़ अकेला मां बाप            को और कहते यही मेरा अभिमान रे
        नाली गटरऔर लेटरिनबिखरे मिलते तुम्हारे पापों के निशान रे
        फेलने मत दो इश्क में तुम्हारे पाप का फूल जवानी के                     निशान   का
                       
   
                               मुनिराम गेझा ( एक बार फिर)





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