वेलेंटाइन डे नहीं टेलेंट चाहिए
राम नहीं रावण चाहिए
जो कर दे बहन की इज्जत की अपने राज्य को समाप्त
सीता नहीं फूलन देवी चाहिए
जो मिटा दे अपनी इज्जत के हत्यारों के नामों निशान
वेलेंटाइन डे नहीं टेलेंट चाहिए
जो मिटा दे पापों की दुनिया बनाने वालों के निशान
इजहार करो प्रकृति और मानवता के प्रेम का
जो खिलने ना दे फूल तुम्हारे पापों के निशान का
बोझ बन जाती है जिन्दगी
जब फूल खिलने लगते तुम्हारे पापों के निशान के
क्यों रोपते हो बीज पाप के उस उस फूल के निशान का
ना जाने उसका कोई क्यो हकदार नहीं होता
समझो देश के नौजवानों उसका कोई किरदार नहीं होता
एक और विचारक की ये कहानी है यारों
उपरोक्त में ना जाने कितनी नर्क जिन्दगी बन जाती है यारों
कोई करता आत्म हत्या और छूपाऐ अपनी लाज ये
वो ही करता विश्वासघात आप से घर छोड़ अकेला मां बाप को और कहते यही मेरा अभिमान रे
नाली गटरऔर लेटरिनबिखरे मिलते तुम्हारे पापों के निशान रे
फेलने मत दो इश्क में तुम्हारे पाप का फूल जवानी के निशान का
मुनिराम गेझा ( एक बार फिर)
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