विश्व में भारत की मनुस्मृति शासन व्यवस्था और भारत में गुलामी का कारण और भारत में पुनर स्थापित भारतीय संविधान में दिए गए भारत की जनता के अधिकार समानता के अधिकार मौलिक कर्तव्य तथा भारत में मनुस्मृति के कारण शुद्र वर्ग को सदियों तक गुलाम बनाए रखने के सिद्धांत को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया गया और संविधान में उनको समान अधिकार दिया गया जिसके अनुसार भारत का बहुजन आज भारत का शासक वर्ग बनने को तैयार है और अखंड भारत को बुद्धि और विवेक से विश्व पटल पर दर्शाता है
मंगलवार, 3 मार्च 2020
कलम की ताकत की परिकल्पना मुनिराम गेझा ( एक और विचारक )
कलम की ताकत होती हैं हजारों क्रांति की ताकत से अधिक ताकतवर होती है क्योंकि गुलाम हुए जिस प्रकार किसी देश को आजादी के लिए के लिए क्रांति की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार आजाद होने के बाद उस देश में समता समानता बंधुत्वता न्याय के जनता के अधिकार आदि और लोकतंत्र को बनाये रखने के लिए एक संविधान की जरूरत होती है और संविधान उस कलम के द्वारा ही लिखा जाता है जो कलम हजारों क्रांति की ताकत से अधिक ताकतवर होती है और कलम के रास्ते के द्वारा ही सभी देश में अन्याय के खिलाफ लड़ने की ताकत होती है और कलम के द्वारा ही न्याय दिला कर उस देश की जनता को लोकतंत्र और संविधान पर गर्व करने के लिए उस देश की न्याय प्रणाली महत्वपूर्ण दायित्व निभाती हैं परन्तु उस देश की मीडिया उस देश की न्याय प्रणाली के कार्य का सही विश्लेषण कर जनता तक पहुंचाने में जीवित दिखाई दे और कलम के रास्ते ही भारत में वर्ण व्यवस्था की बेड़ियों काट कर उस वर्ण को अधिकार दिए जिस वर्ण को सदियों से समान अधिकार ना मिले हो वर्ण को समाप्त कर वर्ग बना दिए क्योंकि वर्ग सम्पूर्ण विश्व में पाएं जाते हैं वर्ग तों कभी कम और कभी अधिक होते रहते हैं परंतु वर्ण तो बहुमंजिला इमारत की तरह और बिना सीडी की तरह है ना तो ग्राउंड फ्लोर के ऊपर जा सकता है और ना ही फ्लोर ग्राउंड के नीचे रह सकता है और कलम के द्वारा संविधान लिखकर सदियों की वर्ण व्यवस्था की बेड़ियों काटकर और संविधान के रास्ते चलते हुए कलम का प्रयोग कर उस देश के शासक बन गए हो
मुनिराम गेझा ( एक और विचारक )
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